पंजाब

तहसीलदार व दो पटवारी गिरफ्तार, सात लाख रुपये रिश्वत ली, पांच पर मुकदमा दर्ज

पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने बुधवार को मूनक के तहसीलदार (सेवामुक्त) संधूरा सिंह, संगरूर जिले के राजस्व हलका गांव बल्लरां के पटवारी धरमराज और भगवान दास पटवारी (सेवामुक्त) को कृषि योग्य जमीन के गैर-कानूनी तबादले और इंतकाल के एवज में सात लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

ब्यूरो के प्रवक्ता ने खुलासा किया कि इस मामले में तफ्तीश के बाद विजिलेंस ब्यूरो के आर्थिक अपराध शाखा लुधियाना के थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। एफआईआर में नामजद आरोपियों में संधूरा सिंह, तहसीलदार (सेवामुक्त), धरमराज पटवारी, मिट्ठू सिंह पटवारी (दोनों हलका बल्लरां जिला संगरूर), भगवान दास पटवारी (सेवामुक्त) और एक निजी व्यक्ति बलवंत सिंह निवासी गांव बल्लरां जिला संगरूर शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि जांच के दौरान गांव बल्लरां में गुरतेज सिंह और अन्य की 25 कनाल 15 मरले जमीन का तबादला गांव रायपुर तहसील जाखल हरियाणा में बलवंत सिंह की जमीन के साथ जाली तबादला व इंतकाल (नंबर 10808) इंदराज कराने का खुलासा हुआ है।

धरमराज पटवारी ने इस फर्जी इंतकाल को अंजाम देने के लिए बलवंत सिंह से सात लाख रुपये की रिश्वत ली थी। इसके बाद धरमराज पटवारी ने इस इंतकाल की मंजूरी तहसीलदार संधूरा सिंह (अब सेवामुक्त) से जमाबंदी में एंट्रियों के साथ मिलाने के लिए 15 मई 2019 की बैक डेट से प्राप्त की, जिसकी समय सीमा 15 मई 2023 थी।

पटवारी ने इंतकाल की मंजूरी के लिए एंट्री बाल पॉइंट पेन से की थी। उसी तारीख को अन्य एंट्रियों के उलट, जेल पेन का इस्तेमाल करके दर्ज की गई थीं। इसके अलावा, आरोपी पटवारी ने इस इंतकाल की कॉपी कानूनगो के दफ्तर को भी नहीं भेजी।

जांच के दौरान पता लगा कि गुरतेज सिंह और अन्य और बलवंत सिंह के बीच कोई पारिवारिक बंटवारा नहीं हुआ था। इसके अलावा बलवंत सिंह के पास हरियाणा के गांव जाखल में कोई जमीन भी नहीं थी। साल 1966 से गांव बल्लरां में जमीन के मालिक होने का दावा कर रहे बलवंत सिंह ने तबादले द्वारा जमीन का मालिक बनने के लिए धरमराज पटवारी से संपर्क किया, जिसने 10 लाख रुपये की मांग की। बातचीत के बाद धरमराज पटवारी ने बलवंत सिंह से सात लाख रुपये की रिश्वत ले ली।

प्रवक्ता ने कहा कि धरमराज पटवारी के तबादले के बाद मिट्ठू सिंह पटवारी ने शिकायतकर्ता के माल रिकॉर्ड में फेरबदल करके धोखे के साथ उनके हिस्से 57 कनाल 11 मरले से घटाकर 31 कनाल 16 मरले जमीन कर दी।

इस गैर-कानूनी कार्रवाई द्वारा बलवंत सिंह को 25 कनाल 15 मरले जमीन का गैर-कानूनी तबादले से मालिक बना दिया। इनको छिपाने के लिए मिट्ठू सिंह पटवारी ने जमाबंदी रजिस्टर में से पन्ना नंबर 134 से 138 को हटा दिया और रजिस्टर के बाकी पन्नों के उलट, क्रम संख्या के बिना वाले नये पन्ने जोड़ दिए।

जांच के दौरान सामने आया कि मिट्ठू सिंह पटवारी ने सात मई 2021 को राजस्व रिकॉर्ड में यह हेराफेरी की थी। फिर बलवंत सिंह ने उक्त जमीन अपने पोते बलराज सिंह को करार नंबर 53 तिथि 26 अप्रैल 2022 द्वारा तब्दील कर दी।

इसके बाद भगवान दास पटवारी ने इंतकाल नंबर 11123 तिथि आठ जुलाई 2022 दर्ज किया और 14 जुलाई 2022 को मंजूरी प्राप्त कर ली। प्रवक्ता ने बताया कि मामले की आगे जांच की जा रही है और बाकी दोषियों को भी जल्द ही काबू कर लिया जाएगा।

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